उत्सुक प्रकृति के शिष्य बनने की इच्छा रखिये

ॐ नमो शिव ॐ ॐ नमो गुरुदेव

ईश्वर और गुरु दोनों सामने खड़े हो तो , भारतिए परंपरा के अनुसार शिष्य पहले गुरु को प्रणाम करेगा , क्योंकि गुरु के आशीर्वाद और मार्गदर्शन के बिना शिष्य ईश्वर को नहीं प्राप्त कर सकता |

सतगुरु को प्राप्त करने की गहन जिज्ञासा ही गुरु की शरण मे ले जा कर हमारे भविष्य को संवार सकती है |

अपने गुरु को सर्वदा सम्मान दीजिये एवम उत्सुक प्रकृति के शिष्य बनिए क्योंकि उत्सुक शिष्य को गुरु से सर्वोतम उपलब्धि प्राप्त होती है |

सतगुरु हमारी प्यास को बुझाते नहीं , अपितु प्यास को जगाते है | वो हमको उस राह पर आगे बढ़ाते है जिस पर चल कर सवालो के जवाब हासिल होते है |

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